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अभिनेत्री-नर्तकी मीनू मुमताज़ का ७९ वर्ष की आयु में कॅनडा में निधन

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चरित्र अभिनेता मुमताज़ अली की बेटी और अभिनेता मेहमूद की बहन मीनू ने सखी हातिम (१९५५) से अपना फ़िल्मी सफर शुरू किया था।

मीनू मुमताज़ चौदहवीं का चाँद (१९६०) में

Sonal Pandya

चरित्र अभिनेता और डान्सर मुमताज़ अली की बेटी और अभिनेता मेहमूद की बहन अभिनेत्री-नर्तकी मीनू मुमताज़ का २३ अक्टूबर को भारतीय समय के अनुसार देर रात १:३० बजे टोरंटो, कॅनडा, में देहांत हुआ। वे ७९ वर्ष की थीं।

उनके छोटे भाई अन्वर अली ने इस बात की पुष्टि करते हुए कहा, "ये बताते हुए काफी अफ़सोस हो रहा है के मेरी प्यारी बहन मीनू मुमताज़ का कॅनडा में देहांत हुआ है। फ़िल्म उद्योग के लोग, प्रेस, मिडिया, फैन्स, दोस्तों का बहुत शुक्रिया के उन्होंने इतने वर्षों से उसे इतना प्यार और दुलार दिया।"

२६ अप्रैल १९४२ को जन्मे मीनू मुमताज़ ने नानूभाई वकील की सखी हातिम (१९५५) से फ़िल्मी दुनिया में प्रवेश किया था। उनका असल नाम मलिकुन्निसा बेग़म था। वे आठ भाई-बहनों में से एक थीं। १९५० और १९६० के दशकों में उन्होंने सी.आई.डी. (१९५६), नया दौर (१९५७), हावड़ा ब्रिज (१९५८), ब्लैक कैट (१९५९), कागज़ के फूल (१९५९), चौदहवीं का चाँद (१९६०), साहिब बीवी और ग़ुलाम (१९६२), ताज महल (१९६३) और भूत बंगला (१९६४) जैसे महशूर फ़िल्मों में काम किया।

अभिनेत्री मीना कुमारी ने उन्हें मीनू नाम दिया था। यही नाम बड़े परदे पर भी कायम रहा। उन्होंने १९६३ में निर्देशक एस अली अकबर से निकाह की। उन्हें एक बेटा और तीन बेटियां थी।

मीनू के भतीजे नौशाद मेमन ने सिनेस्तान से बात की और अपने मौसी के बारे में विस्तार से बताया।  "वे बहुत खुशमिजाज़ थीं," उन्होंने टेलीफोन पर बताया। "उन्हें घूमना, लोगों से मिलना पसंद था। वे सबका ख़याल रखती थीं और सबसे प्रेम करती थीं। वे सबके लिए माँ की तरह थीं और सभी को हर मुमकिन मदद करती थीं।"

१९८० के दशक के शुरुवात में वे टोरंटो चली गयीं क्योंकि उनके बच्चे वहीं स्थायिक हो चुके थे। शादी के बाद उन्होंने फ़िल्मों में काम करना बंद कर दिया था। मेमन ने आखरी बार कोविड-१९ महामारी के पहले एक शादी में उन्हें देखा था। वे साल में एक बार भारत ज़रूर आती थीं।

मेमन ने बताया के वे फ़िल्मों की चकाचौंध को याद किया करती थीं। "उन्होंने अपने काम का खूब मज़ा लिया था। एक कलाकार को जिस प्रकार लोग आकर्षित होकर देखते हैं, उसकी कमी उन्हें शादी के बाद ताउम्र खलती रही," उन्होंने बताया।

"१९५० और १९६० के दशकों में वे और हेलनजी बेहद खूबसूरत डान्सर्स हुआ करती थीं," मेमन ने बताया। "दोनों को हमेशा एक दूसरे के साथ काम मिलता था। दोनों के बीच की तुलना भी हमेशा सकारात्मक रहती क्योंकि हेलनजी उत्कृष्ट हुआ करती थीं। दोनों एक दूसरे से काफी करीब थे क्योंकि वे एक दूसरे को अच्छी तरह से जानते थे।"

मीनू ने नृत्य की तालीम नहीं पाई थी मगर उनके अंदर एक स्वाभाविक अदा थी। वे और उनके भाई-बहन अपने पिता को देख कर बड़े हुए, जो के इंडस्ट्री के पहले कोरिओग्राफर्स में से एक थे। "मेरे दादा का खुद का थिएटर ग्रुप हुआ करता था। वे अलग अलग शहरों में जाकर रंगमंच पर अपने शो करते और उनके बच्चे भी उनके साथ काम करते थे। वे इन बच्चों को सिखाया करते। उन्हें उनके पिता से ही ट्रेनिंग मिली थी," मेमन ने बताया।

मीनू मुमताज़ के पश्चात उनके छोटे भाई शौकत और अन्वर और उनके बच्चे ऐसा परिवार है।

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