वरिष्ठ संगीतकार विजय पाटिल का आज २२ मई को दिल के दौरे के कारण नागपुर में देहांत हुआ। वे ७८ वर्ष के थे।
फ़िल्म और संगीत के क्षेत्र में पाटिल को राम लक्ष्मण जोड़ी के लक्ष्मण के रूप में जाना जाता था। इस जोड़ी के राम का मूल नाम सुरेंद्र हेन्द्रे था।
१९७० के दशक में उन्होंने हाथ लाविन तिथं सोनं (१९७३) और भोली भाबडी (१९७३) इन मराठी फ़िल्मों से बतौर संगीतकार काम करना शुरू किया। पर उन्हें असल प्रसिद्धि तब मिली जब वे अभिनेता-निर्देशक दादा कोंडके के साथ जुड़े।
दादा कोंडके के साथ उनकी पहली फ़िल्म थी पांडु हवालदार (१९७५), जो बेहद सफल फ़िल्म साबित हुई। उसके बाद दादा कोंडके के साथ उन्होंने तुमचं आमचं जमलं (१९७६), राम राम गंगाराम (१९७७) और बोट लाविन तिथं गुदगुल्या (१९७८) जैसी सफल फ़िल्में दी।
इस संगीतकार जोड़ी पर दुर्भाग्य का आघात तब हुआ जब राजश्री प्रॉडक्शन की एजेंट विनोद (१९७७) फ़िल्म मिलने के बाद अचानक हेन्द्रे का देहांत हुआ। मगर पाटिल ने अपने दोस्त की याद में राम लक्ष्मण इसी नाम के साथ संगीत देना जारी रखा।
हम से बढ़कर कौन (१९८१) फ़िल्म का गणेश उत्सव का प्रसिद्ध गीत 'देवा ओ देवा' का श्रेय भी पाटिल के संगीत को ही जाता है। मगर हिंदी फ़िल्मों में जिसे बड़ा ब्रेक कहा जाता है वो फ़िल्म थी सूरज बड़जात्या की पहली निर्देशकीय फ़िल्म मैंने प्यार किया (१९८९)। इस फ़िल्म का संगीत बेहद मशहूर हुआ।
उसके बाद बड़जात्या की अगली दो फ़िल्में हम आपके हैं कौन..! (१९९४) और हम साथ साथ हैं (१९९९) के लिए भी उन्होंने संगीत दिया। दोनों फ़िल्मों का संगीत सुपरहिट साबित हुआ।
पत्थर के फूल (१९९१), १०० डेज़ (१९९१) और मुस्कुराहट (१९९२) जैसी उस दौर की और भी कुछ हिट फ़िल्मों के लिए पाटिल ने संगीत दिया था। पर उनकी सबसे बड़ी हिट फ़िल्में राजश्री बैनर के साथ ही थीं। इसी बैनर की एक और फ़िल्म हम प्यार तुम्ही से कर बैठे (२००२) का संगीत देकर उन्होंने इस बैनर से अपना साथ जारी रखा। हालाँकि इस फ़िल्म का निर्देशन सूरज बड़जात्या ने नहीं किया था।
महाराष्ट्र सरकार ने २०१८ में विजय पाटिल को लता मंगेशकर पुरस्कार देकर सम्मानित किया था।