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सलीम-जावेद पर बन रही डॉक्यूमेंट्री एंग्री यंग मेन का निर्माण कर रहे हैं सलमान, फरहान और ज़ोया

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नम्रता राव द्वारा निर्देशित इस डॉक्यूमेंट्री में ज़ंजीर (१९७३), दीवार (१९७५) और शोले (१९७५) के स्टार लेखक जोड़ी के उदय को परखा जाएगा।

फाइल फोटो

Our Correspondent

१९७० के दशक की स्टार लेखक जोड़ी सलीम खाँ और जावेद अख़्तर का फ़िल्मी पटल पर उदय बताने वाली डॉक्यूमेंट्री का निर्माण करने इसी लेखक द्वयी के बेटे अभिनेता सलमान खाँ, अभिनेता-निर्देशक फरहान अख़्तर और फ़िल्मकार ज़ोया अख़्तर साथ आये हैं।

एंग्री यंग मेन इस नाम से बन रही इस डॉक्यूमेंट्री को सलमान खाँ फ़िल्म्स, एक्सेल एंटरटेनमेंट (फरहान और रितेश सिधवानी की कंपनी) और टाईगर बेबी फ़िल्म्स (ज़ोया और फ़िल्मकार रीमा कागती की कंपनी) के बैनर तले बनाया जा रहा है।

सलीम-जावेद की फ़िल्मों द्वारा अमिताभ बच्चन को जिस नाम से जाना जाने लगा, उसी से प्रेरित होकर इस डॉक्यूमेंट्री का नाम रखा गया है। ज़ंजीर (१९७३), दीवार (१९७५), शोले (१९७५), डॉन (१९७८) और त्रिशूल (१९७८) जैसी फ़िल्मों में व्यवस्था के विरोध में खड़ा रहनेवाला निडर किरदार बच्चन ने निभाया था, उसीसे उन्हें एंग्री यंग मैन कहा जाने लगा।

ओये लकी! लकी ओये! (२००८), बैंड बजा बारात (२०१०), कहानी (२०१२), तितली (२०१४), दम लगा के हैशा (२०१५) और लस्ट स्टोरीज़ (२०१८) जैसी फ़िल्मों की एडिटर नम्रता राव इस डॉक्यूमेंट्री का निर्देशन करेंगी।

अंदाज़ (१९७१), अधिकार (१९७१), हाथी मेरे साथी (१९७१) और सीता और गीता (१९७२) जैसी फ़िल्मों के साथ सलीम-जावेद जोड़ी का एक के बाद एक सफल फ़िल्मों का सिलसिला शुरू हुआ था और वे स्टार जोड़ी के रूप में उभर चुके थे।

यादों की बारात (१९७३), ज़ंजीर (१९७३), दीवार (१९७५) और शोले (१९७५) जैसी फ़िल्मों से स्टार जोड़ी के रूप में उनका नाम और मज़बूत हो गया। उसके बाद भी इस जोड़ी ने डॉन (१९७८), त्रिशूल (१९७८), दोस्ताना (१९८०), क्रांति (१९८१), ज़माना (१९८५) और मिस्टर इंडिया (१९८७) जैसी लोकप्रिय फ़िल्में दी।

२२ हिंदी और २ कन्नड़ फ़िल्मों के बाद सलीम-जावेद की जोड़ी १९८० के दशक में विभक्त हो गयी। मगर आज भी इनको हिंदी फ़िल्मों के इतिहास में सबसे सफल लेखक जोड़ी के रूप में देखा जाता है।

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