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वरिष्ठ फ़िल्मकार बुद्धदेव् दासगुप्ता का ७७ वर्ष की आयु में देहांत

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राष्ट्रिय पुरस्कार से सम्मानित निर्देशक गुर्दे से जुडी बीमारी का सामना कर रहे थे और नियमित डायलिसिस के सहारे थे।

फाइल फोटो

Roushni Sarkar

राष्ट्रिय पुरस्कार प्राप्त फ़िल्मकार और कवी बुद्धदेव् दासगुप्ता का गुरुवार को देहांत हुआ। वे ७७ वर्ष के थे।

दासगुप्ता को गुर्दे से जुडी बीमारी थी और उन्हें डायलिसिस की ट्रीटमेंट शुरू थी। खबरों के अनुसार उनकी पत्नी सोहिनी दासगुप्ता को पता चला के वे सुबह नींद में ही चल बसे।

सन् १९४४ में पुरुलिया में जन्मे दासगुप्ता ने श्यामसुंदर कॉलेज में अध्यापक के रूप में अपना करियर शुरू किया। पर जो विचार वे सिखा रहे थे और जो सामाजिक-राजनीतिक वास्तविकता थी, उनके भेद को देखते हुए उन्होंने फ़िल्में बनाना शुरू किया। उन्होंने अपनी पहली फ़िल्म १९६८ में बनाई, जो के एक १० मिनिट की डॉक्यूमेंटरी थी। इस डॉक्यूमेंटरी का नाम था कॉन्टिनेंट ऑफ़ लव। सन् १९७८ में उन्होंने अपनी पहली पूर्ण लम्बाई की फ़िल्म बनाई, नाम था दूरत्व।

दासगुप्ता कलकत्ता फ़िल्म सोसायटी के सदस्य थे। वे जागतिक फ़िल्मों में चार्ली चैपलिन, इंगमार बर्गमन, अकीरा कुरोसावा और विटोरियो दे सिका जैसे दिग्गजों की फ़िल्मों से बेहद प्रभावित थे। ये भी कई बार कहा जाता है के उनके करियर के शुरुवाती दौर में वास्तवदर्शी फ़िल्म बनाने के पीछे सत्यजीत रे की प्रेरणा थी।

उन्हें उनके प्रयोगशीलता के लिए तथा उनकी सिनेमैटिक भाषा के उच्च दर्जे के लिए जाना जाता है। उनके बाग़ बहादुर (१९८९), चराचर (१९९३), लाल दर्जा (१९९७), मोंडो मेयेर उपाख्यान (२००३) और कालपुरुष (२००५) इन फ़िल्मों को सर्वोत्तम फ़िल्म का राष्ट्रिय पुरस्कार मिला है, वहीं दूरत्व और तहादेर कथा (१९९२) को सर्वोत्तम बंगाली फ़िल्म का राष्ट्रिय पुरस्कार मिला है। दासगुप्ता को उत्तरा (२०००) और स्वप्नेर दिन (२००८) के लिए सर्वोत्तम निर्देशक का राष्ट्रिय पुरस्कार मिल चुका है।

पर वे सिर्फ बंगाली फ़िल्म इंडस्ट्री तक सिमित नहीं रहे। उन्होंने १९८४ में हिंदी में अंधी गली फ़िल्म की, जिसमें दीप्ति नवल मुख्य भूमिका में थीं और साथ ही नवाज़ुद्दीन सिद्दीकी और पंकज त्रिपाठी के साथ अनवर का अजब किस्सा नामक फ़िल्म भी बनाई।

दासगुप्ता ने कविताओं की कई पुस्तिकाओं का प्रकाशन किया है, जिनमें गोविर अरली, कॉफिन किम्बा सूटकेस, छाता कहिनी और रोबोटेर गान जैसी पुस्तिकाएं शामिल हैं।

उनके पश्चात् उनकी पत्नी, दो बेटियां अलोकनंदा दासगुप्ता और राजेश्वरी दासगुप्ता हैं। अलोकनंदा संगीत निर्देशिका हैं, जिन्होंने ट्रैप्ड (२०१७), सेक्रेड गेम्स (२०१८) और लैला (२०१९) जैसी फ़िल्म और वेब-सीरीज़ को संगीत दिया है।

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