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दिग्गज अभिनेता दिलीप कुमार का ९८ वर्ष की आयु में देहांत

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अपनी कला से अभिनयकला की व्याख्या को नया आयाम देनेवाले इस दिग्गज अभिनेता का खार, मुम्बई, के हिंदुजा अस्पताल में साँस की तकलीफ के चलते इलाज चल रहा था।

Our Correspondent

पिछले कुछ वर्षों से दिग्गज अभिनेता दिलीप कुमार उम्र से जुडी बीमारियों से जूझ रहे थे। आज सुबह ७:३० बजे उनका खार, मुम्बई, के हिंदुजा अस्पताल में देहांत हुआ। पद्म विभूषण से सम्मानित दिलीप कुमार ९८ वर्ष के थे।

दिलीप कुमार के प्रवक्ता फैसल फ़ारूक़ी ने सोशल मीडियापर इस खबर की पुष्टि की।

पिछले कुछ वर्षों से दिलीप कुमार का अस्पताल में आना-जाना बढ़ गया था। ६ जून को साँस की तकलीफ के चलते उन्हें हिंदुजा अस्पताल में दाखिल किया गया। राष्ट्रवादी कॉंग्रेस पक्ष के अध्यक्ष शरद पवार और कई बड़े नामांकित लोगों ने उन्हें भेट दी।

उत्तर-पश्चिम सीमा प्रांत में मुहम्मद युसूफ खाँ के नाम से जन्मे दिलीप कुमार का फ़िल्मी सफर ज्वार भाटा (१९४४) फ़िल्म से शुरू हुआ। १९५० और १९६० के दशक में वे फ़िल्म इंडस्ट्री के सबसे बड़े स्टार्स में से एक थे। आज़ाद भारत के शुरुवाती वर्षों में इंडस्ट्री का परचम राज कपूर, देव आनंद और दिलीप कुमार इस त्रिमूर्ति के हाथ में था। अंदाज़ (१९४९), दाग (१९५२), देवदास (१९५५), मुग़ल-ए-आज़म (१९६०) और गंगा जमना (१९६१) जैसी फ़िल्मों में अपने बेहतरीन अदाकारी से उन्होंने आनेवाली पीढ़ियों के लिए अभिनय का उदाहरण रख दिया।

फिल्मफेयर के सर्वोत्तम अभिनेता के पुरस्कारों के सबसे पहले विजेता दिलीप कुमार थे और शाहरुख खाँ के साथ संयुक्त रूप से सबसे अधिक (८ बार) फिल्मफेयर पुरस्कार प्राप्त अभिनेता का रिकॉर्ड उनके नाम पर दर्ज है।

१९९१ में दिलीप कुमार को पद्म भूषण और २०१५ में भारत के दूसरे क्रमांक के सर्वोच्च नागरिक सम्मान पद्म विभूषण से सम्मानित किया गया। पाकिस्तान के सर्वोच्च नागरिक सम्मान निशान-ए-इम्तियाज़ प्राप्त करनेवाले वे एक मात्र भारतीय हैं।

१९९४ में उन्हें दादासाहेब फालके पुरस्कार से सम्मानित किया गया। २००० से २००६ तक वे राज्यसभा सदस्य रहे और १९७९ से १९८२ तक वे मुम्बई शहर के शेरिफ थे।

उनके पश्चात उनके परिवार में ५५ वर्ष उनका साथ देनेवाली उनकी पत्नी सायरा बानू हैं।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोशल मीडियापर दिलीप कुमार के परिवार के साथ सह-संवेदना प्रकट की।

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