२००४ में गैंगस्टर और बलात्कारी भरत कालीचरण उर्फ अक्कू यादव की २०० दलित महिलाओं ने हत्या कर दी थी। इस घटना के बाद क्या हुआ, ये सार्थक दासगुप्ता द्वारा निर्देशित फ़िल्म २०० – हल्ला हो में हमें देखने मिलता है। फ़िल्म में दिग्गज अभिनेता अमोल पालेकर एक सेवानिवृत्त न्यायाधीश की भूमिका में हैं, जो एक जांच समिति के अध्यक्ष हैं।
फ़िल्म के ऑनलाइन प्रेस कॉन्फ्रेंस में बोलते हुए पालेकर ने कहा की जिस तरह से फ़िल्म में जाति के मुद्दे को दर्शाया गया है, उससे वे प्रभावित हुए। उन्होंने कहा, "हमारी फ़िल्मों में हम हमेशा जाति के बारे में बात करने से बचते हैं या यह अदृश्य प्रतीत होता है, निश्चित रूप से कुछ अपवाद ज़रूर हैं। मुझे इस स्क्रिप्ट की यह बात पसंद आई की यह बिना किसी झिझक के सीधे विषय को छूती है।"
उन्होंने कहा की इस फ़िल्म में महिलाओं के विषय को खुलकर दिखाया गया है। "हम उन महिलाओं के बारे में बात करने से भी बचते हैं जो शोषित और सामाजिक रूप से उत्पीड़ित हैं। लेकिन यहाँ, इससे दूर भागने के बजाय, वह फ़िल्म के केंद्र में है। मैं कहूंगा, फ़िल्म उनके जन आंदोलन को समर्पित है। इस मुद्दे को दर्शाते हुए कोई भी शोर नहीं किया गया है," उन्होंने कहा।
फ़िल्म में बाली चौधरी की भूमिका साहिल खट्टर निभा रहे हैं। यह किरदार अक्कू यादव पर आधारित है।
फिल्म में रिंकू राजगुरु, बरुन सोबती, सलोनी बत्रा और उपेंद्र लिमये भी अहम भूमिका में हैं।
यह पूछे जाने पर की उन्होंने फ़िल्म को क्यों स्वीकार किया, पालेकर ने कहा, "यह महिलाओं की जीत का एक विशिष्ट चित्रण नहीं है। यह सच्ची घटनाओं पर आधारित है। इन सच्ची घटनाओं को जिस आकलन के साथ चित्रित किया गया है, वह मुझे पसंद आया। इसलिए मैंने तुरंत हाँ कर दी।"
पालेकर का पात्र दलित वर्ग का है। "एक दलित के रूप में इस चरित्र को कई कठिनाइयों का सामना करना पड़ा है। एक वक़्त वह उस मुकाम पर आता है जहाँ वह अपने दलित कार्ड का उपयोग नहीं करता। वह उसका प्रदर्शन नहीं करता। इसलिए वह जाति के मुद्दे से परे चला गया है। लेकिन वह सिर्फ एक मूक दर्शक नहीं हो सकता," उन्होंने कहा।
२०० – हल्ला हो २० अगस्त को झी५ पर प्रदर्शित होगी।