२०१८ से एक दुर्लभ ट्यूमर से जूझ रहे इरफ़ान खॉं को कल अचानक अस्पताल में भर्ती करना पड़ा था।
हिंदी फ़िल्मों के महानतम अदाकारों में से एक, इरफ़ान खॉं का ५३ वर्ष की आयु में निधन
मुम्बई - 29 Apr 2020 12:58 IST
Updated : 17:05 IST
Our Correspondent
मुम्बई के कोकिलाबेन धीरूभाई अंबानी अस्पताल में आज सुबह ५३ वर्षीय अभिनेता इरफ़ान खॉं का देहांत हुआ। वे न्यूरोएंडोक्राइन ट्यूमर से जूझ रहे थे।
इरफ़ान खॉं के पश्चात उनके परिवार में पत्नी सुतापा सिकदर और बेटे बबील और अयान हैं। दोपहर ३ बजे उनके परिवार, कुछ नज़दीकी रिश्तेदार और दोस्तों की मौजूदगी में वर्सोवा के समशानभूमि में उनका अंतिम क्रियाकर्म किया गया।
२०१८ में उनकी फ़िल्म ब्लैकमेल के प्रदर्शन से पूर्व उनकी बीमारी का पता चला और उसके बाद वे लंबे समय के लिए इलाज के लिए लंदन में रहें। २०१९ में वे भारत लौटे। ऐसा लग रहा था के उन्होंने कैंसर के साथ अपनी लड़ाई को जीत लिया है और उन्होंने होमी अडजानिया की फ़िल्म अंग्रेज़ी मीडियम (२०२०) की शूटिंग भी पूर्ण की। यह फ़िल्म इरफ़ान खॉं की ही हिंदी मीडियम (२०१७) की सिक़्वल फ़िल्म थी।
अंग्रेज़ी मीडियम में उनके साथ राधिका मदान, दीपक डोब्रियाल, करीना कपूर खॉं और डिंपल कपाड़िया ने काम किया था। इस वर्ष मार्च में प्रदर्शित हुई ये फ़िल्म उनका आखरी प्रोजेक्ट साबित हुआ। कोविड-१९ महामारी के चलते मार्च में ही देश भर में लॉकडाउन लगा दिया गया, जिसके चलते यह फ़िल्म थिएटर में ज़्यादा समय नहीं रहीं।
इरफ़ान खॉं ने मीरा नायर की बहुचर्चित फ़िल्म सलाम बॉम्बे! (१९८८) से अपना फ़िल्मी सफर शुरू किया। उन्होंने कथा सागर (१९८६), भारत एक खोज (१९८८), चाणक्य (१९९१), बनेगी अपनी बात (१९९३) और चंद्रकांता (१९९४) जैसी धारावाहिकों में भी काम किया। दृष्टि (१९९०) और एक डॉक्टर की मौत (१९९०) जैसी कुछ बेहतरीन फ़िल्मों में भी उन्होंने काम किया।
इक्कीसवी सदी के पहले दशक में आखिरकार उन्होंने मुख्यधारा की फ़िल्मों में अपना स्थान बनाया। हासिल (२००३), मक़बूल (२००४), आन – मेन ऍट वर्क (२००४), लाइफ इन अ मेट्रो (२००७), न्यू यॉर्क (२००९), पान सिंह तोमर (२०१२). द लंचबॉक्स (२०१३), पीकू (२०१५) और हिंदी मीडियम (२०१७) जैसी बहुचर्चित और मशहूर फ़िल्मों में उनके काम की बेहद प्रशंसा हुई।
इरफ़ान खॉं के नाम पर कई अंतरराष्ट्रीय फ़िल्में भी दर्ज हैं। मीरा नायर की द नेमसेक (२००७), अ माइटी हार्ट (२००७), डैनी बॉयल की स्लमडॉग मिलियनैर (२००९), अँग ली की लाइफ ऑफ़ पाय (२०१२), द अमेज़िंग स्पाइडरमैन (२०१२) और जुरासिक वर्ल्ड (२०१५) ये कुछ अंतरराष्ट्रीय फ़िल्में हैं जिनमें उन्होंने अपनी छाप छोड़ी।
पीकू के निर्देशक सुजीत सरकार ने इरफ़ान खॉं के देहांत की खबर आम की। "मेरे प्रिय मित्र इरफ़ान। तुम लड़े, लड़े और लड़े। मुझे हमेशा तुम पर गर्व रहेगा। हम फिर मिलेंगे। सुतापा और बबील को मेरी सांत्वना। सुतापा, आप ने भी लड़ाई लड़ी है। इस लड़ाई में आपने जो संभव हो, वो सब दिया है," उन्होंने ट्विटर पर लिखा।
My dear friend Irfaan. You fought and fought and fought. I will always be proud of you.. we shall meet again.. condolences to Sutapa and Babil.. you too fought, Sutapa you gave everything possible in this fight. Peace and Om shanti. Irfaan Khan salute.
— Shoojit Sircar (@ShoojitSircar) April 29, 2020
कुछ दिन पहले ही इरफ़ान खॉं की माँ सईदा बेगम का देहांत हुआ था। लॉकडाउन की वजह से खॉं अपने माँ की अंतिम विधि के लिए अपने शहर जयपुर, राजस्थान, जा नहीं सके थे।
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