आयुष्यमान खुराणा अपने करिअर के शिखर पर हैं। पिछले दो वर्ष में उन्होंने बरेली की बर्फी (२०१७), शुभ मंगल सावधान (२०१७), अंधाधुन (२०१८), बधाई हो (२०१८) और आर्टिकल १५ (२०१९) जैसी लगातार पाच हिट फ़िल्में दी हैं। इनमे खास बात ये है की सभी फ़िल्में एक दूसरे से अलग हैं।
इसलिए ये सवाल तो लाज़मी है की वे अपनी फ़िल्मों की स्क्रिप्ट्स कैसे चुनते हैं। सोशल मिडिया पर भी ये सवाल काफ़ी बार पूछा जाता रहा है, खास कर उनकी आगामी फ़िल्म ड्रीम गर्ल का ट्रेलर देखने के बाद।
ड्रीम गर्ल के प्रदर्शन पूर्व चल रहे प्रमोशन के दौरान हुई बातचीत में खुराणा को पूछा गया की वे फ़िल्मों के विषय को कैसे चुनते हैं और क्या वे इस विषय पर किसी से सलाह-मशूहरा करते हैं। "मैं किसी की सलाह नहीं लेता," उन्होंने कहा। "मैं मेरी अंतःप्रेरणा के साथ जाता हूँ। पर हाँ, मेरी पत्नी और मेरी मैनेजर सुनीता स्किप्ट्स ज़रूर पढ़ती हैं।"
अपनी स्क्रिप्ट की समझ के बारे में उन्होंने कहा, "मुझे लगता है मैं मेरी मूल चीज़ों को स्पष्ट रखता हूँ। एक तो ये के भारतीय फ़िल्मों के लिए ये कल्पना ताज़ी होनी चाहिए। और ये कल्पना दो घंटे तक टिकी रहनी चाहिए। दो घंटे आपकी रूचि इसमें बनी रहनी चाहिए। कई बार कल्पना अच्छी होती है पर दो घंटे तक आपको वो बांधे नहीं रखती। तीसरी चीज़ ये के इसमें फ़िल्म का महत्त्व बढ़ाने वाली किसी प्रकार की बात कही जानी चाहिए। बस, इतना ही।"
ड्रीम गर्ल में खुराणा के साथ नुशरत भरुचा काम कर रही हैं। राज शांडिल्य का ये पहला निर्देशकीय प्रयास है। फ़िल्म १३ सितंबर को प्रदर्शित हो रही है।