निर्देशक राज कुमार गुप्ता को बोर्ड के सुझावों से कोई ऐतराज़ नहीं।
सीबीएफसी ने इंडियाज़ मोस्ट वॉन्टेड से हटाए गीता, क़ुराण के संदर्भ
मुम्बई - 18 May 2019 15:33 IST
Updated : 18:59 IST
IANS
निर्देशक राज कुमार गुप्ता की फ़िल्म इंडियाज़ मोस्ट वॉन्टेड को सेन्ट्रल बोर्ड ऑफ़ फ़िल्म सर्टिफिकेशन (सीबीएफसी) ने अ/व प्रमाणपत्र देते हुए ये निर्देश दिए हैं के फ़िल्म से भगवदगीता और क़ुरान के संदर्भों को हटाया जाए। निर्देशक राज कुमार गुप्ता ने खुद ये जानकारी दी।
अर्जुन कपूर अभिनीत इस फ़िल्म के टीज़र से कुछ विवाद उत्पन्न हुए थे, जब एक आतंकी को गीता का उपदेश सुनाते हुए दिखाया गया था। एक और टीज़र जो ऑनलाइन लीक हुआ था, उसमे अर्जुन कपूर का किरदार क़ुरान का संदर्भ दे रहा है।
सीबीएफसी द्वारा सुझाए गए कट्स के बारे में इंडो-एशियन न्यूज़ सर्विस से बात करते हुए राज कुमार गुप्ता ने बताया, "क़ुरान का सन्दर्भ फ़िल्म में भी था और टीज़र में भी, जब उसे पहली बार लाया गया था। उसे टीज़र में रखने पर कोई आक्षेप नहीं लिया गया, पर जब हमने फ़िल्म प्रमाणित करने के लिए दी, तो उन्होंने कहा के ये थोड़ी संवेदनशील बात है। उन्होंने पूछा क्योंकि ये संवेदनशील मुद्दा है तो क्या आप गीता और क़ुरान के संदर्भ को हटा सकते हैं, और इसकी संवेदनशीलता को देखते हुए हमने उसे हटा दिया है।"
क्या उन्हें ये गलत नहीं लगा, ये पूछने पर गुप्ता ने कहा, "मुझे नहीं पता के ये गलत है या नहीं, पर हम सभी धर्मों का आदर करते हैं, इसी लिए हमें उसकी संवेदनशीलता को भी समझना चाहिए। इसी लिए जब हमसे पूछा गया, तो हमने वो दृश्य हटा दिए। ये दृश्य क्योंकि टीज़र में आ चुके थे, तो हमें लगा के क्योंकि टीज़र में इस पर कोई आक्षेप नहीं लिया गया, तो फ़िल्म में भी उसे स्वीकृति मिल जाएगी। पर क्योंकि यह संवेदनशील मुद्दा था और उन्होंने हमसे पुछा, तो हमने गीता और क़ुरान के संदर्भों के सिवा फ़िल्म को प्रमाणित करने के लिए सुपुर्द किया।"
फ़िल्म के बाकी कट्स के बारे में पूछने पर उन्होंने कहा, "यही एक मुख्य कट था, बाकि सब छोटे कट्स हैं।" उन्होंने बताया के फ़िल्म को अ/व प्रमाणपत्र मिला है और फ़िल्म २४ मई को प्रदर्शित हो रही है।
यह फ़िल्म एक आतंकी से जुडी सत्य घटना पर आधारित है। ये पांच लोगों के मिशन की कहानी है जिन्हें भारत का सबसे बड़ा आतंकी पकड़ना है। फ़िल्म में इसे भारत का ओसामा कहा गया है। इन पांच लोगों की टीम को इस मिशन को बिना किसी हथियार और किसी की मदद अंजाम देना है।
क्या इंडियन मुजाहिदीन आतंकी संघटन का संस्थापक यासीन भटकल पर यह फ़िल्म आधारित है, इस बारे में पूछने पर गुप्ता ने आईएएनएस से कहा, "मैं चाहता हूँ के लोग आयें और फ़िल्म देखें और फिर चर्चा करें। हम ऐसी चर्चा चाहते हैं के जिस व्यक्ति से फ़िल्म प्रेरित है वो भारत के वॉन्टेड आतंकियों में से एक था। ये फ़िल्म सिर्फ़ इसी एक मुद्दे से प्रेरित नहीं है, बल्कि ये इसकी भी कहानी है के कैसे इन पांच साधारण महसूस होनेवाले लोगों ने एक भी गोली चलाये बिना और किसी भी अधिकृत मदद के बिना इस मिशन को अंजाम दिया।"
कहानी की अविश्वसनीयता जान कर ही गुप्ता इसे बनाने के लिए प्रेरित हुए। "ये वो फ़िल्म है जो ऐसी चुनिंदा घटनाओं से प्रेरित है जहाँ मानवीय बुद्धिमत्ता की कसौटी लगती है। हमारे फौजी, हमारे इंटेलिजेंस एजेंट्स या देश के लिए काम कर रहे लोग किन खतरों में रह कर ऐसी नौकरी को निभाते हैं, उसकी ये वास्तविक कहानी है। फिर भी वे बाहर जाकर हमारी सुरक्षा करते हैं। ये फ़िल्म उन्हें धन्यवाद देने का हमारा एक प्रयास है," उन्होंने कहा।
टीज़र यहाँ देखें और हमें बताए के सीबीएफसी का निर्णय सही था या नहीं।
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