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सिंगल स्क्रीन सिनेमा की पतझड़ जारी, चित्रा थिएटर हुआ बंद

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दादर जैसे केंद्रीय जगह पर स्थित यह थिएटर ७० वर्षों से लोगों के मनोरंजन का स्थल था।

Our Correspondent

मध्य मुम्बई के सबसे पुराने सिंगल स्क्रीन थिएटरों में से एक, चित्रा थिएटर, १६ मई को बंद हो गया। फ़िल्मों के चाहने वालों के लिए निश्चित ही ये बुरी खबर है, खास कर उनके लिए जो दादर जैसी जगह में रहते हों या पले बढे हों।

पिछले कुछ वर्षों में कई सारे सिंगल स्क्रीन थिएटर व्यवहार्यता का कारण देकर बंद किए जा रहे हैं। इस दुर्भाग्यपूर्ण कड़ी में अब चित्रा का भी नाम जुड़ गया है।

करण जोहर निर्मित स्टुडंट ऑफ़ द ईयर २ चित्रा में प्रदर्शित आखरी फ़िल्म साबित हुई। इस ऐतिहसिक वास्तु का ७० वर्षों का सफर अब ख़तम हो चुका है।

चित्रा इस समय दारा मेहता के नाम है। थिएटर को बंद करने की वजह को बताते हुए उन्होंने मिड-डे अखबार से कहा, "आजकल सिंगल स्क्रीन मुश्किल से बिज़नेस कर पा रहे हैं। वीकेंड पर हालांकि काफ़ी भीड़ होती है, पर बाकी दिनों में लोग मुश्किल से आते हैं। हमने अभी तक ये निर्णय नहीं लिया है के इसे रिडेवलपमेंट के लिए दिया जाए या किसी मल्टीप्लेक्स चेन को सौंपा जाए।"

मेहता का कहना है के पायरसी के अलावा नेटफ्लिक्स, एमज़ॉन प्राइम विडिओ और हॉटस्टार जैसे ओटीटी प्लॅटफॉर्म्स की वजह से थिएटर्स मुश्किल से बिज़नेस कर पा रहे हैं।

"हम हमेशा बदलती टेक्नोलॉजी के साथ रहे हैं," मेहता ने कहा। "२० वर्ष पहले और उसके बाद २०१४ में भी हमने थिएटर रिनोवेट किया। पर आज ऑनलाइन प्लॅटफॉर्म्स ने हमारे बिज़नेस को प्रभावित कर दिया है। पहले सिर्फ़ फ़िल्में ही मनोरंजन का साधन हुआ करती थीं। अब लोगों के पास ओटीटी प्लॅटफॉर्म्स पर कई सारे विकल्प हैं।"

अपने पिता पी डी मेहता के बाद १९८२ से दारा मेहता ने चित्रा को संभाला। १९७० के दशक से २००० के दशक तक कई सारी हिंदी फ़िल्मों ने सिल्वर और गोल्डन जुबली दिन इस थिएटर में देखें हैं। उसके बाद फ़िल्मों का २५ या ५० हफ्ते चलना बंद हो गया। मराठी फ़िल्मों के लिए भी चित्रा पसंदीदा थिएटर था।

इस वर्ष मार्च में जुहू स्थित चंदन सिनेमा भी इन्ही कारणों की वजह से बंद कर दिया गया।

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