जैग़म इमाम द्वारा निर्देशित नक्काश की कहानी वाराणसी में स्थित है। इनामुलहक, शरीब हाश्मी और कुमुद मिश्र फ़िल्म में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं।
नक्काश ट्रेलर – धर्म के चौराहे पर कला के अस्तित्व का संघर्ष
मुम्बई - 13 May 2019 21:00 IST
Updated : 14 May 2019 23:30 IST
Shriram Iyengar
वाराणसी उर्फ़ काशी एक ऐसा शहर है जो आजकल विविध राजकीय खबरों के लिए चर्चा में रहता है। जैग़म इमाम की नक्काश इसी शहर के अल्लाह रखा की कहानी है, जो वाराणसी के मंदिरों में नक्काशी का काम करता है।
इनामुलहक, शरीब हाश्मी और कुमुद मिश्र फ़िल्म में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं। यह फ़िल्म ३१ मई २०१९ को प्रदर्शित हो रही है।
नक्काश के ट्रेलर में वाराणसी के मंदिरों के मुस्लिम नक्काशी कारीगर अल्लाह रखा (इनामुलहक) के ज़िंदगी में उभरे संघर्ष की कहानी को दर्शाया गया है।
मंदिर के पुजारी (कुमुद मिश्र) अल्लाह रखा के काम को और उसके योगदान को सराहते हैं। पर बढ़ते राजकीय और धार्मिक असहिष्णुता के चलते मुस्लिम कारीगर के हिन्दू मंदिर में काम करने के मुद्दे पर प्रश्न उठाये जाते हैं।
अल्लाह रखा का मुद्दा राजनीतिक मुद्दा बनकर उभरता है और दोनों समाजों में तनाव निर्माण होता है। हिंदू नेता उसे मंदिर से बाहर करते हैं और मुस्लिम कट्टरपंथी उसके बच्चे को मदरसा में प्रवेश नकारते हैं।
फ़िल्म मुस्लिम कारीगरों की वाराणसी के हिंदू मंदिरों में काम करने की पुरानी परंपरा को दर्शाती है। ये वही वाराणसी है जहाँ प्रसिद्ध दिवंगत शहनाई वादक उस्ताद बिस्मिल्लाह ख़ाँ प्राचीन काशी विश्वनाथ मंदिर में सुबह सुबह राग वादन किया करते थे।
कुमुद मिश्र और इनामुलहक दोनों ने दो अलग धर्म के व्यक्तित्व को निभाया है जो कला और उसकी कारीगरी के प्रशंसक हैं और उसके महत्त्व और खूबसूरती को समझते हैं। शरीब हाश्मी भेदभाव और फूट की राजनीति में फसे एक ऐसे मुस्लिम की भूमिका निभा रहे हैं जो बाद में विरोधक बन कट्टरता के पुरस्कर्ता बन जाता है।
जैग़म इमाम द्वारा निर्देशित नक्काश ३१ मई २०१९ को प्रदर्शित हो रही है। ट्रेलर यहाँ देखें।
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