रीमिक्स के माहौल में उससे अलग नयी रचना को सुनना अच्छा लगता है। तिग्मांशु धुलिया की मिलन टॉकीज़ फ़िल्म के 'बकैती' गाने में १९९० के दशक का भाव है। गाने का टेम्पो ऊँचा है तथा इसे स्टाइलाइज़्ड तरीकेसे पेश किया है। सुखविंदर सिंह की ऊँची आवाज़ के साथ अली फज़ल के बॉलीवुडसे प्रेरित निर्देशक किरदार को बेहतरीन पेशकश मिली है।
दृश्यों में हमें अली फज़ल के किरदार का निर्देशन नज़र आ रहा है। अली फज़ल सर्वसाधारण हिंदी फ़िल्मों से प्रेरित दृश्यों का चित्रण करते नज़र आते हैं। एक लड़की को उसकी शादी से बचाकर भगाना या दीवार (१९७५) के अमिताभ बच्चन की वेशभूषा में गुंडों को मारना, इस तरह के प्रसिद्ध फ़िल्मी दृश्यों को चित्रित कर लखनऊ का यह निर्देशक उसका सपना साकार करने की कोशिश कर रहा है।
एक घमंडी लड़के का खुद के सपने को किसी भी कीमत पर साकार करने की ज़िद का ये गाना है। जो लोग बड़े सपने देखते हैं उनका मज़ाक उड़ाने के लिए 'बकैती' शब्द का इस्तेमाल किया जाता है। अमिताभ भट्टाचार्य के बोल में बेख़ौफ़ी है जिस में किरदार के गुस्से और विद्रोह के भाव भरपूर हैं।
पर यहाँ सबसे अधिक कुछ याद रहता है तो वो है राणा मज़ूमदार का संगीत। सम्मोहित करने वाले बीट्स के साथ ये गाना सहजही आपका ध्यान आकर्षित करता है।
इस गाने में सिंथेसाइज़र मिक्सिंग के साथ १९९० के दशक के संगीत का प्रभाव भी नज़र आता है। सुखविंदर सिंह की ऊँची आवाज़ इस गाने को अलग ही पायदान पर ले जाती है।
हालांकि विशाल भारद्वाज के 'ढॅन टे नॅन' गाने से इसकी तुलना नहीं की जा सकती, पर इस गाने में 'ढॅन टे नॅन' के टेम्पो और ऊर्जा की झलक देखी जा सकती है।
इस गाने में आप पुराने गानों की यादों को ताज़ा करते हुए नयी ऊर्जा के मज़े ले सकते हैं।
मिलन टॉकीज़ १५ मार्च को प्रदर्शित हो रही है। गाना यहॉं देखें।