कश्मीर स्थित एक आर्मी अफसर और एक शिक्षिका की प्रेम कहानी वैसे तो हिंदी फ़िल्मों के लिए जानी पहचानी कहानी हो सकती है। नोटबुक फ़िल्म में निर्देशक नितिन कक्करने दो अनजान किरदारों के बीच वक़्त का फासला लाकर इस कहानी को नया मोड़ दिया है।
सलमान ख़ाँ फ़िल्म्स निर्मित इस फ़िल्म द्वारा प्रनुतन बहल और ज़हीर इक़बाल फ़िल्मी दुनिया में अपना पहला कदम रख रहे हैं।
कबीर (ज़हीर) कश्मीर की अलग थलग जगह की स्कुल में पढ़ाने के लिए आता है। इस स्कुल के सात छात्र अपनी पुरानी टीचर की यादों के साथ पीछे छूट गए थे, जिन्हें अब कबीर पढ़ाने आया है। यह पुरानी टीचर फिरदौस (प्रनुतन) है, जिससे कबीर अनजान है मगर फिर भी वो उससे प्यार करने लगता है।
ट्रेलर में इन दो किरदारों के अंतर को दर्शाया गया है जिसे सिर्फ़ बच्चों की यादों का और एक नोटबुक में लिखे पलों का सहारा हैं। यही नोटबुक उन दोनों के संवाद का ज़रिया बनता है।
कुछ समय पश्चात कबीर को पता चलता है के फिरदौस की शादी तय हो चुकी है। क्या कबीर अपने इस अनजान प्रेम से मिल पायेगा, यही इस फ़िल्म की कहानी है।
हालांकि कहानी उत्साहवर्धक ज़रूर लगती है, पर ट्रेलर में हॉलीवुड फ़िल्म द लेक हाऊस (2006) के तत्व नज़र आते हैं। इस फ़िल्म में भले ही टाइम ट्रैवल का अंश नहीं है, पर द लेक हाऊस से इसकी समानता भी दिखते रहती है। द लेक हाउस में भी वक़्त की दुरी से अलग हुए दो इंसान हैं जो एक दूसरे के संपर्क में रहते हैं।
दो दूरियों पर खड़े लेकिन फिर भी एक दूसरे से मिलने के लिए बेताब प्रेमी के दृश्य दोनों फ़िल्म की समानता को नज़रअंदाज़ नहीं करने देते।
इससे पूर्व कक्करने फ़िल्मिस्तान (2012) जैसी फ़िल्म का लेखन एवं निर्देशन किया था। वे ही इस फ़िल्म का निर्देशन कर रहे हैं। इस फ़िल्म द्वारा प्रख्यात दिवंगत अभिनेत्री नूतन की पोती प्रनुतन बहल फ़िल्मों में बतौर अभिनेत्री अपना पहला कदम रख रही हैं, साथ ही सलमान ख़ाँ के करीबी दोस्त इक़बाल रतनसी के बेटे ज़हीर इक़बाल की भी ये पहली फ़िल्म है।
यह फ़िल्म २९ मार्च को प्रदर्शित हो रही है।