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राजकुमार बड़जात्या – राजश्री प्रॉडक्शन्स के मूकनायक

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फ़िल्म इंडस्ट्री के प्यारे और आदरणीय राजबाबू ने अपने बैनर की मज़बूत नींव रखने में अहम भूमिका निभाई थी।

Keyur Seta

ज्येष्ठ फ़िल्म निर्माता राजकुमार बड़जात्या (उम्र 77 वर्ष) का गुरूवार को मुंबई के अस्पताल में निधन हुआ। भारत के बड़े प्रॉडक्शन हाऊस में से एक, राजश्री प्रॉडक्शन्स, के मैनेजिंग डिरेक्टर्स (एमडी) में से एक रहे राजकुमार बड़जात्या का जन्म 14 मई 1941 को हुआ था।

फ़िल्म इंडस्ट्री में उन्हें प्यार से राजबाबू के नाम से बुलाया जाता था। राजश्री प्रॉडक्शन्स की मज़बूत नींव रखने में उनकी अहम भूमिका रही थी।

एक पुरानी बातचीत में राजकुमार बड़जात्या के भाई और राजश्री प्रॉडक्शन्स के दूसरे एमडी कमल कुमार बड़जात्याने बताया था के उनके पिता ताराचंद बड़जात्या ने कैसे उनके बैनर की शुरुवात की थी।

उनके पिता दक्षिण भारत की चमरिया टॉकी नाम की एक वितरण कंपनी के साथ काम कर रहे थे। कंपनी काफ़ी आर्थिक नुकसान में चल रही थी, तब उनके पिताने उस कंपनी को पुनः अपने पैरों पर खड़ा किया।

पर अचानक ऐसा हुआ के उस समय की सबसे महंगी फ़िल्म रही एस एस वासन की तमिल फ़िल्म चंद्रलेखा (1948) बॉक्स ऑफिस पर सफल नहीं रही। ताराचंद बड़जात्याने वासन को सलाह दी के इस फ़िल्म को हिंदी में डब करें और भारत भर में प्रदर्शित करें।

"मेरे पिताने उन्हें कहा के चिंता ना करें और सारी ज़िम्मेदारी सँभालने का वचन भी दिया। डब वर्जन को बनाया गया और वासन ने हमारे पिता को उसे भारत भर में वितरित करने को कहा। इस कारण मेरे पिता को हर जगह ऑफिसेस खोलने पड़े। इस तरह राजश्री प्रॉडक्शन्स की शुरुवात हुई," कमल कुमार ने यादों को ताज़ा करते हुये कहा था।

1970 के समय में ताराचंदजी को उनके बेटे राजकुमार की मदद मिली। उन्होंने पिया का घर (1972) फ़िल्म में बतौर सहायक निर्माता काम देखा। कमल कुमार के अनुसार उनके भाईने सेट या फील्ड पर रहते हुये भी प्रॉडक्शन की जिम्मेदारी संभाली। उन्होंने मुश्किल से कभी कोई इंटरव्ह्यू दिया था और हमेशा प्रसिद्धिसे दूर रहे।

उसके बाद उन्होंने कई फ़िल्मों में सहायक निर्माता के रूप में ज़िम्मेदारी संभाली। इन फ़िल्मो में चितचोर (1976), सारांश (1983) और मैंने प्यार किया (1989) जैसी फ़िल्मे शामिल हैं। बेटे सूरज बड़जात्या की फ़िल्म हम आपके हैं कौन..? (1994) से वे निर्माता बने। सलमान ख़ाँ और माधुरी दीक्षित अभिनीत ये फ़िल्म क्लासिक मानी जाती है।

पिछले सप्ताह प्रदर्शित अभिषेक दीक्षित द्वारा निर्देशित हम चार फ़िल्म उनकी बतौर निर्माता आखरी थी।

फ़िल्म प्रेम रतन धन पायो (2015) के दौरान हुई बातचीत में सलमान ख़ाँ ने राजबाबू की काम की प्रति निष्ठा को बयां किया था।

सलमान ने बताया के कैसे राजबाबू की पत्नी सुधा बड़जात्या अपने पति से नाराज़ थीं के उनके बेटे सूरज के जन्म पर भी वे काम पर गए थे। "जब सूरज का जन्म हुआ था, राजबाबू को दोस्ती (1964) के प्रीमियर के लिए जाना पड़ा था। इसी लिए वे राजबाबू से नाराज़ थीं," सलमान ख़ाँ ने कहा। 

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