धर्मा प्रॉडक्शन्स की फ़िल्मों में गानों का बहुत महत्त्व होता है। संगीत के मामले में धर्मा प्रॉडक्शन्स से हमेशा बड़ी उम्मीदें होती हैं। कलंक फ़िल्म के अब तक जितने गाने जारी किये गए हैं, वे उम्मीदों पर उतने खरे नहीं उतरे हैं। पर माधुरी दीक्षित नेने के गाने को लेकर कुछ उम्मीदें रखी गई थीं, जो गाने की तरह ही तबाह हो गईं।
इस गीत को संगीतबद्ध किया है संगीतकार प्रीतम ने तथा गाने के बोल लिखे हैं गीतकार अमिताभ भट्टाचार्य ने। दोनों की जोड़ी ने मिलकर इससे पूर्व ऐ दिल है मुश्किल (२०१६) और दंगल (२०१६) जैसे सुपरहिट म्युज़िक अल्बम दिए हैं।
'तबाह हो गए' गाने में सबसे अधिक निराशा गीतकार अमिताभ भट्टाचार्य ने की है। गाने की शुरुवाती पंक्ति छोड़ बाकी पंक्तियों में कोई खास बात नज़र नहीं आती। गाना छोटा है और गीत के बोल पर ज़्यादा ध्यान नहीं दिया गया है।
गाने में तबला और ढोलक के बीट्स उठाव लाते हैं। प्रीतम का संगीत ठीकठाक है, पर गीत के बोल संगीत के साथ मेल नहीं रखते। श्रेया घोषाल की आवाज़ में वही मधुरता है, पर उन्होंने भी इससे अच्छे गीत की अपेक्षा अवश्य की होगी।
'तबाह हो गए' गाने की खास बात ये है के कई वर्ष बाद वरिष्ठ नृत्य निर्देशिका सरोज ख़ाँ ने अभिनेत्री माधुरी दीक्षित नेने के साथ इस गाने पर काम किया है। पिछली बार ये दिग्गज जोड़ी संजय लीला भंसाली की फ़िल्म देवदास (२००२) में साथ आए थे।
निर्माता करण जोहर ने देवदास जैसी भव्यता तो इस गाने में दर्शाई है, पर दीक्षित नेने और ख़ाँ की जोड़ी का कमाल इस गाने में उभरकर नहीं आया है।
'तबाह हो गए' की कोरिओग्राफी सरोज ख़ाँ और रेमो डिसूज़ा ने की है। कुछ शास्त्रीय नृत्य की झलकियों को छोड़ गाने की कोरिओग्राफी में कुछ खास बोलने जैसा नहीं है।
देवदास के 'मार डाला' और 'डोला रे' गानों की तुलना में 'तबाह हो गए' गाना अपेक्षा से काफ़ी निचे रह गया है। माधुरी दीक्षित नेने की अदाएँ तो ठीक लगती हैं, पर अधिक उत्साह भरी कोरिओग्राफी गाने को और बेहतर बना सकती थी।
कलंक १७ अप्रैल को प्रदर्शित हो रही है। गाना यहाँ देखें।