अभी तक एक लड़की को देखा तो ऐसा लगा फ़िल्म का प्रचार बेटी और पिता की कहानी के तौर पर किया जा रहा है, जहाँ असल जिंदगी के बेटी और पिता, याने के सोनम कपूर आहूजा और अनिल कपूर मुख्य भूमिका निभा रहे है।
पर टीज़र में इस बात का अंदाजा लगाया जा सकता था, और अब ट्रेलर में ये बात साफ़ हो चुकी है के शैली चोप्डा धर की इस फ़िल्म की कहानी एक साधारण से पारंपारिक पंजाबी परिवार की एक साधारण सी लड़की स्वीटी की असाधारण और अनोखी कहानी है।
स्वीटी के पिता और रिश्तेदार उसकी शादी करने के बेताब है, पर स्वीटी को उसमे कोई रूचि नही। राज कुमार राव स्वीटी के प्यार में पागल है और स्वीटी उन्हें अपने असली प्यार के बारे में बताती है।
स्वीटी ट्रेलर में किसी सीक्रेट का अंदेशा दे रही है, पर ये बात साफ़ नज़र आती है के उसे मर्दो में कोई रूचि नही है।
ट्रेलर सादा मगर रोचक है। सोनम को लेस्बियन प्रेम कथा के मुख्य किरदार में देखना ये उत्सुकतापूर्ण होगा। और ये फ़िल्म इस तरह की हिंदी फ़िल्मो में पहली फ़िल्म होगी।
एक लड़की को देखा तो ऐसा लगा दिखने में बहोत अच्छा लग रहा है, इसका फ़िल्मांकन, संगीत और इसके कलाकार और साथ ही एक महत्वपूर्ण विषय को छेड़ने का ये प्रयास प्रशंसनीय है।
आजकी आधुनिक संस्कृति में ये एक महत्वपूर्ण फ़िल्म है जहाँ अब सर्वोच्च न्यायलय ने इसी साल होमो सेक्शुअलिटी को आपराधिक घटना से हटा दिया है।
हिंदी फ़िल्मो के लिए भी ये एक अहम बात है जहाँ मुख्य धारा की फ़िल्म में पारंपारिक भारतीय परिवार के लेस्बियन लड़की की कहानी को दर्शाया जा रहा है। ट्रेलर में जिस संवेदनशीलता से इस विषय को उजागर किया है उससे धार इस फ़िल्म के विषय को उचित न्याय दे पायेगी ऐसी अपेक्षा की जा सकती है।
धर ने इस फ़िल्म की प्रेम कथा को बाकी फ़िल्मो की प्रेम कथा की तरह ही पेश किया है और वही इस फ़िल्म की जीत है।